☆ क्या आपके होता है सीने में दर्द ? चलिए देखते हैं।
》व्यक्ति को यदि चलने फिरने में परेशानी, सांस लेने में तकलीफ या सीने में दर्द की शिकायत है तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यह खतरनाक हृदय रोग जैसे इस्कीमिक कार्डियोमायोपैथी की स्थिति हो सकती है। इसमें मरीज का हृदय पूरे शरीर में खून में व ऑक्सीजन नहीं आती। आमतौर पर कोरोनरी धमनीयां हृदय को रक्त हुए ऑक्सीजन की आपूर्ति का काम करती है। लेकिन इस्कीमिक कार्डियोमायोपैथी के कारण इनमें बाधा आने से व्यक्ति के हृदय की संकुचन शक्ति कम हो जाती है और सीनेे में दर्द होने लगता है।
Chest Paining |
● लक्षण
सांस लेने व चलने-फिरने या लेटने में परेशानी, पैरों के पंजों में सूजन, चक्कर आना, शारीरिक गतिविधि न कर पाना, भूख कम लगना, खाना खाने के बाद में सांस फूलना, वजन बढ़ना, कफ व सीने में संक्रमण हृदय की धड़कनों मैं आसान्य बेहोशी छाना आदि।
● इनसे होती है ज्यादा दिक्कत
इन रोगियों में हृदय रोग कोरोनरी धमनी व हार्ट अटैक मुख्य कारण है। हाई ब्लड प्रेशर, मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल, मोटापा व रोग की फैमिली हिस्ट्री से ग्रस्त मरीजों में भी इसकी संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। इस में लापरवाही ना बरतें।
● रोग की पहचान
ब्लड टेस्ट के अलावा ईसीजी, सीने की एक्स-रे, इकोकार्डियोग्राम, सीटी स्कैन व एमआरआई, एंजियोग्राफी आदि जांच प्रमुख रुप से की जाती है। मायोकार्डियल बायोप्सी से रोग का पता लगाकर हृदय के छोटे उत्तक को सैंपल के तौर पर लिया जाता है। इसके बाद इसे माइक्रोस्कोप के नीचे रखकर बारीकी से जांच करते हैं।
● इससे बचने के उपाय
- अपने कोलेस्ट्रॉल और रक्त संचरण दबाव को संतुलित बनाए रखें।
- बिना तेल का मसालेदार भजन खा सकते हैं। हो सके तो रेशे और एंटीऑक्सीडेंट युक्त भोजन खाना चाहिए।
- अपने दैनिक जीवन के तनाव पर नियंत्रण बनाए रखें।
- वजन को सामान्य रखने के लिए प्रतिदिन 30 मिनट टहलना चाहिए।
- प्रतिदिन व्यायाम तथा कुछ हल्की-फुल्की कसरतें भी करनी चाहिए।
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● अतिरिक्त उपाय
1. लहसुन
लहसुन के सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। साथ ही इसमें एंटीऑक्सीडेंट तत्व भी है जो बैक्टीरिया से शरीर को बचाते हैं। लहसुन को आप सब्जी में पकाकर या कच्चा भी खा सकते हैं। लहसुन को किसी भी तरीके से खाना शरीर के लिए फायदेमंद माना होता है। यह छाती में होने वाले संक्रमण को आसानी से ठीक कर सकता है।
2. हल्दी और गर्म दूध
हल्दी एंटी माइक्रोबियल है इसलिए इसे गर्म दूध के साथ लेने से दमा, ब्रोंकाइटिसफेफड़ों में कफ और साइनस जैसी समस्याओं में आराम होता है। यह बैक्टीरियल और वायरल संक्रमणों से लड़ने में मदद करती है।
3. नींबू
छाती में बलगम या संक्रमण होने पर नींबू का सेवन बहुत फायदेमंद है। इसमें मौजूद तत्व संक्रमण से निजात दिलाने में मददगार साबित होते हैं। हल्के गर्म पानी में नीबू निचोड़कर गुनगुना ही पिएं। यह रोगों से लड़ने की क्षमता पैदा करेगा और आपको आराम महसूस होगा।
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4. तुलसी
तुलसी और बांसा की पत्तियां पीसकर पानी में मिलाएं और काढ़ा तैयार कर लें। इसके नियमित सेवन से छाती में होने वाला संक्रमण धीरे-धीरे ठीक होने लगेगा और आपको पहले से बेहतर महसूस होगा।
5. नमक के पानी से गरारा करना
ज्यादातर लोग छाती में संक्रमण के दौरान इस नुस्खे को अपनाते हैं। गर्म पानी में थोड़ा सा नमक डालकर गरारा करने से रेसपिरेटरी ट्यूब से बलगम बाहर आ जाता है जिससे आपको काफी आराम मिलता है। एक गिलास गर्म पानी में एक या दो चम्मच नमक डालकर गरारा करें।
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